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मैं विरोध करती हूँ

चाहे बोले शिक्षित या अनपढ़ बोले
चाहे स्त्री कहे या कहे पुरूष
चाहे नई हो या पुरानी पीढ़ी
चाहे हिंदी में या अंग्रेजी में
चाहे बोले गरीब या पैसेवाला
झोपड़ी में या महलों में रहने वाला
चाहे सड़क पर या चार दीवारों में
चाहे झगड़े में या हंसी ठिठोली में
जब स्त्री अंगों पर
भद्दी टिप्पणीयां सुनती हूँ
जब माँ-बहन के नाम की
गन्दी गालियां सुनती हूँ
नारी को अपमानित करती
अभद्र बोली सुनती हूँ
मैं उन घटिया शब्दों का
विरोध करती हूँ

            प्रीति ताम्रकार,जबलपुर




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2 Comments

Dilawar Singh

20-Jan-2024 11:19 AM

समाज की वास्तविकता को उजागर करती अति सुंदर कृति👌👌👏

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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

05-Sep-2021 07:46 AM

Wah

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